अन्ना के आंदोंलन को अभी ख़त्म नहीं होना है और अभी वह लौ बुझी भी नहीं है लेकिन हम जो कल उनके अनशन के साथ थे और पूरा देश एक आवाज पर खड़ा था । वह लोग राजनीति से दूर थे और अपने अपने निवास स्थल से ही उनका समर्थन कर रहे थे। किसलिए क्योंकि हम भ्रष्टाचार से मुक्ति चाहते हें।
आज नए वातावरण में जब उत्तर प्रदेश में चुनाव हो चुके हैं और नई सरकार अपने घोषणा पात्र के अनुसार बेरोजगारों को बेरोजगारी भत्ते को देने के लिए प्रतिबद्धता को दुहरा रहा है। चुनाव परिणाम के आने के पहले ही सेवायोजन कार्यालय में पंजीकरण के लिए आधी रात से भीड़ लगनी शुरू हो गयी फिर अचानक एक नया मोड आया कि ये भत्ता ३५ साल से ऊपर के बेरोजगारों को मिलेगा लेकिन इससे भीड़ काम नहीं हुई बल्कि पंजीकरण के लिए आने वालों की उम्र बढ़ गयी। और इससे एक बात और बढ़ गयी कि भ्रष्टाचार के दरवाजे सामने से खुलने लगे। वह जो कल भ्रष्टाचार के विरोध में सिर पर अन्ना टोपी लगाये घूम रहे थे वही पंजीकरण करा रहे थे।
पंजीकरण कराने वाले कौन लोग हें ? जो इसकी पात्रता को पूरा नहीं कर रहे हें लेकिन सरकारी मुफ्त का धन लेने में कोई हर्ज नहीं है।
१। प्राइवेट नौकरी करने वाले ।
२। गृहणी जो न कभी पंजीकृत थी और न कभी उन्होंने नौकरी के लिए सोचा था।
३। अपने धंधा करने वाले लोग जिनकी आय उस मिलने वाले भत्ते से कई गुण ज्यादा है।
४। वह लोग जो पैतृक संपत्ति से होने वाली आय से अपना गुजारा वर्षों से कर रहे हें।
क्या वास्तव में कोई भी व्यक्ति जो परिवार की जिम्मेदारी वाला है ३५ वर्ष की आयु तक घर में बैठा होगा। वह कुछ भी करे करता जरूर है। मेहमत की कमाई में विश्वास रखने वाले तो ग्रेजुएट होकर भी रिक्शा चला रहे हैं। सेल्स मैन का काम कर रहे हैं या फिर कुछ और। (अपवाद इसके भी हो सकते हैं लेकिन जो लाखों की संख में लोग पंजीकरण करवा रहे हें सभी बेरोजगार तो बिल्कुल भी नहीं हैं।
आज मेरा एक परिवार में जाना हुआ। वे मेरे अन्तरंग हैं, उनकी आर्थिक स्थिति से मैं भलीभांति परिचित भी हूँ। मेरी उपस्थिति में ही उनके घर के नीचे के तल में रहने वाले किरायेदार की पत्नी ने आक़र पूछा कि ऑफिस से अंकल का फ़ोन आया है कि इतने सारे फार्म जमा नहीं हो पाएंगे किसी लेडीज को आना पड़ेगा तो कुछ जल्दी हो सकती है क्योंकि वहाँ पर लाइन नहीं लम्बी है और अगर किसी को दे कर जमा करवाता हूँ तो १०० प्रति फार्म लग रहा है। क्या करना है जल्दी से पूछ कर बतलाइये।
जब वे चली गयी तो मैंने उस परिवार की बहू से पूछा कि कौन कौन फार्म भर रहा है तो उसने बताया कि वह उसकी विवाहित ननद उसके पति और खुद उस बहू के पति। उनके तीन मंजिले मकान में ३ किरायेदार और एक पोर्शन में वह खुद रहती हें। वह एक पौश इलाके में रहने वाला परिवार है।
मैंने पूछा कि क्या तुम लोग भी इसके लिए पंजीकरण करवा रहे हो?
-हाँ नीचे वाले अंकल हें तो उन्होंने कहा कि फार्म आसानी से जमा हो जाएगा और फिर जो बन पड़ेगा पूरा कर दूँगा। फिर अगर सबको मिल गया तो कम से कम मोबाइल का खर्च तो निकल ही आएगा। मुफ्त का मिलेगा कुछ करना तो है नहीं ।
मुझे उनकी बात कहीं से भी सही नहीं लगी वे महिलायें जिन्होंने कोई भी ऐसी शिक्षा नहीं पायी है जिससे कि नौकरी कर पातीं। छोटी मोटी नौकरी करना तो उस बड़ी बिल्डिंग के मालिक के बच्चों की इज्जत के अनुरुप भी नहीं थी लेकिन अगर मुफ्त में मिल जाए तो कुछ बुरा भी नहीं है।
ये सिर्फ एक लोग की सोच है और कितने ही लोग ऐसे होंगे जो कि इस मुफ्त सरकारी धन के लिए लालायित हो रहे होंगे और लेंगे भी।
इसके लिए लाखों लोगों ने पंजीकरण करवाया है कितने लोग वाकई इसके लिए पात्रता पूरी करने वाले होंगे और कितने तो फर्जी ही इसको लेते रहेंगे। जब हम खुद इतने भ्रष्ट सिर्फ एक हजार रुपये के लिए हो सकते हें तो फिर बड़े बड़े घोटाले करने वाले क्या बुरा कर रहे हें? हम उनसे अलग कहीं भी नहीं है। सरकारी धन को इस तरह से हासिल करके हम खुद को भ्रष्ट घोषित कर रहे हें।