मेरी सोच

अपनी सोच का शब्दों से श्रृंगार करें और फिर बाँटें अपने विचर और दूसरे से लें. कितना आसन है उन सबसे लड़ना जो हमें दुश्वार लगते हैं. कोई दिशा आप दें और कोई हम दें 'वसुधैव कुटुम्बकम' कि सूक्ति सार्थक हो जायेगी.

सोमवार, 22 अप्रैल 2024

इस दुनिया से परे !

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          इस दुनिया से परे !                       इस संसार में जीवन के बाद मृत्यु और पुनर्जन्म , मोक्ष या फिर आत्मा का अपने कर्मों के अनुस...
शुक्रवार, 12 अप्रैल 2024

सावधान ! सोशल मीडिया और ए आई !

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                           सावधान !  एआई बन रहा है अपराध की डोर!                          हर क्षेत्र में एआई (कृत्रिम बुद्धिमत्ता) के द्वार...
7 टिप्‍पणियां:
मंगलवार, 9 मई 2023

अवसाद के दो दिन !

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अवसाद के दो दिन !                            जीवन में बहुत सारे अवसादग्रस्त लोगों की काउंसलिंग की, या कहूँ ये गुण तो मैं बचपन से विरासत में ...
मंगलवार, 14 जुलाई 2020

अभिव्यक्ति : एक चिकित्सा विधि !

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                  लेखन : एक चिकित्सा विधि !                         लेखन एक ऐसी विधा है, जो औषधि है - मन मस्तिष्क को शांत करने वाली एक प्...
7 टिप्‍पणियां:
गुरुवार, 17 अक्टूबर 2019

पेरेंटिंग : कब तक और कैसी हो?

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          माता - पिता बनने के साथ ही मनुष्य में अपने बच्चे के लिए दिशा निर्देश देने के भाव उभरने लगते है बल्कि ये ...
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मेरे बारे में

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रेखा श्रीवास्तव
मैं अपने बारे में सिर्फ इतना ही कहूँगी कि २५ साल तक आई आई टी कानपुर में कंप्यूटर साइंस विभाग में प्रोजेक्ट एसोसिएट के पद पर रहते हुए हिंदी भाषा ही नहीं बल्कि लगभग सभी भारतीय भाषाओं को मशीन अनुवाद के द्वारा जन सामान्य के समक्ष लाने के उद्देश्य से कार्य करते हुए . अब सामाजिक कार्य, काउंसलिंग और लेखन कार्य ही मुख्य कार्य बन चुका है. मेरे लिए जीवन में सिद्धांत का बहुत बड़ी भूमिका रही है, अपने आदर्शों और सिद्धांतों के साथ कभी कोई समझौता नहीं किया. अगर हो सका तो किसी सही और गलत का भान कराती रही यह बात और है कि उसको मेरी बात समझ आई या नहीं.
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