मंगलवार, 15 जून 2010

मंत्र शक्ति का यथार्थ!

                    विषय एकदम अलग - मेरे लेखन का सबसे अलग विषय किन्तु ये मेरी सोच ही नहीं बल्कि यथार्थ के साथ जुड़ी मेरी वह सोच है जिसको मैंने भोगा है और इस भोग से ये महसूस किया कि इससे औरों को कुछ दिया जा सकता  है या बाँटा  जा सकता है तो क्यों न अपने इस वृहद् परिवार में बाँट कर चलें. 


                  मैं आध्यात्म से जुड़ना और उससे जुड़े हुए अनुभवों को सांझा करने की बात कर रही हूँ. हिन्दू धर्म में दुर्गा सप्तशती सभी ने देखी या  पढ़ी होगी . उसमें कुछ श्लोक हैं जो कि कवच कहे जाते हैं. उन मन्त्रों से हम अपने शरीर को सुरक्षित करते हैं. ऐसे ही अगर हम सहज रूप से देखे तो रामचरित मानस है - जिसकी चौपाइयां अपने आप में एक मंत्र हैं और उन मन्त्रों को हम अनुभूत करें तो वे आज भी ये सिद्ध कर देती हैं कि ये विश्वास की शक्ति कभी भी हमें निराश नहीं करती है. ये ज्ञान या विवरण देने से पहले मैं बता दूं कि ये मुझे अपने आध्यात्मिक गुरु जो मेरे फूफा जी भी थे - श्री जगदम्बा प्रसाद श्रीवास्तव से प्राप्त हुआ था. बचपन से ही जब भी वे उरई  जाते मुझे अपने पास बिठा कर छोटी छोटी बातें सिखाया करते थे. कुछ मंत्र , कुछ ऐसी बातें जो हमें किताबों में नहीं मिल सकती थी. यही चीजें हम दृढ बनाती हैं - संघर्ष करने की शक्ति देती हैं. 
                  रामचरित मानस सिर्फ एक काव्य ही नहीं है बल्कि एक शक्तिशाली धार्मिक ग्रन्थ है . इसकी चौपाइयां कितनी अर्थपूर्ण और शक्तिपूर्ण है ये मैं बता रही हूँ.
                     मामभि रक्षय रघुकुल नायक,  धृत वर  चाप रुचिर कर सायक . 

ये वह चौपाई है - जिससे हम किसी आकस्मिक दुर्घटना से अपने को सुरक्षित कर सकते हैं. मात्र एक पंक्ति है लेकिन कितनी सशक्त है ये मैंने अपने जीवन में एक बार नहीं बल्कि बार बार अनुभव किया और जिन्हें समझा उनको दिया भी है. 
             सिर्फ एक घटना का उल्लेख कर रही हूँ, अगर मैं इसके घेरे में न होती तो शायद ये लिखने के लिए सबके सामने भी नहीं होती. 
                    आज से करीब ५ साल पहले की घटना है , मेरी माँ को यहाँ ऑपरेशन के लिए लाया गया था और हम दोनों ( मैं और मेरे पति) रात १२ बजे सारी तैयारी करवाने के बाद घर आ रहे थे. स्कूटर ४०-५० की गति से चला रहे थे. स्कूटर चलाने में कुछ सुनाई नहीं दे रहा था. अचानक इन्होने मुझसे कुछ कहा और मुझे सुनाई दिया - 'रेखा मामभि रक्षय का जप करो' और मैं इस का मन ही मन जप करने लगी. बस ५ मिनट ही बीते थे की हमारा स्कूटर एक मिट्टी के ढेर पर चढ़ गया और इन्होने जो ब्रेक लगाया तो हमारा स्कूटर उछल गया. बस आगे जो देखा तो हमारी साँसें थाम गयी. नीचे करीब दस फुट गहरे गड्ढे में काम हो रहा था और उसके बाहर कोई अवरोध या रोशनी नहीं थी. वे गड्ढे के अन्दर रोशनी रख कर काम कर रहे थे. हमें सामान्य होने में करीब दस मिनट लग गए. लेकिन मैंने ये अहसास किया की इस मंत्र की शक्ति को हम नमन कर सकते. इसको हम घर से बाहर निकलते समय पढ़ कर ही निकलते हैं.

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