शुक्रवार, 5 अगस्त 2011

लोकतंत्र में सुधार चाहिए!

पिछले दिनों केंद्र सरकार ने अपने पोर्टल पर और फेसबुक के सहारे इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षा प्रणाली के विषय में मत संग्रह किया - जान सामान्य के विचार जानने के लिए यह एक बहुत ही अच्छा तरीका रहा इस तरीके के पढ़ते पढ़ते ऐसा ही ख्याल आया कि पुरानी परिभाषाओं को परिमार्जित करके नया कलेवर दिया जा सकता है लोकतंत्र के वर्तमान स्वरूप की जो दुर्दशा हो रही है, उससे हर कोई वाकिफ है वंशानुगत दलों की बागडोर सभांलने वाले राजनेता और भावनाओं में बहने वाला मतदाता को जो अपने छाले जाने का अहसास होता तब तक वह पांच साल के लिए मजबूर हो चुका होता है फिर भले ही वे अपने प्रतिनिधि को उनके ही पेट में लात मारकर अपनी तिजोरियां भरते हुए देखें या फिर निरंकुश शासक बन आने ही घर को कांचन महल बनाकर अंगूठा दिखाते रहें
उनके चुने हुए प्रतिनिधि दलों के निर्जीव मुहरे होते हैं जिन्हें पार्टी हाई कमान अपनी इच्छानुसार नाचता रहता है और सत्ता पर काबिज पटरी अपनी इच्छानुसार विधेयक बनाकर पेश करती रहती है जिसमें लाभान्वित चाहे कोई भी हो लेकिन अपनी सत्ता के भविष्य में काबिज रहने की संभावनाओं को पुख्ता करने के साधन जुटाए जाते हैं
अब लोकतंत्र को वास्तव में जनता के लिए जनता के द्वारा शासन की परिभाषा को सत्य तो होने दीजिये उसके अब सुधार की जरूरत हो रही है जब समय के साथ हर क्षेत्र में क्रांति हो रही है फिर ये क्षेत्र अछूता क्यों रहे? अब इसको भी परिमार्जित किया जाना चाहिए अब विधेयक का प्रारूप तैयार करने के बाद सदन में रखने से पूर्व ठीक इसी तरह से सरकारी पोर्टल और अन्य सोशल नेट वर्क पर डाल कर जनमत संग्रह होना चाहिए ये सारे विधेयक सिर्फ सदन या संसद में लागू नहीं होने है ये बनाये तो उनके प्रतिनिधियों के द्वारा ही हैं लेकिन उसके ही गले को काटने की तैयारी भी की जा रही है ये सत्य है की ग्रामीण पृष्ठभूमि के लोग इन सब चीजों से वाकिफ नहीं है, वे कैसे भाग ले सकते हैं तो इसके लिए ग्राम पंचायतों में कंप्यूटर की व्यवस्था होनी चाहिए ऐसे विधेयक या नए विधेयक की सम्पूर्ण रूपरेखा सार्वजनिक तौर पर प्रकाशित या प्रदर्शित की जानी चाहिए टी वी तो आजकल हर घर में है चाहे वे झुग्गी झोपड़ी में ही क्यों रहते हों? उसकी जानकारी दी जानी चाहिए सिर्फ जानकारी नहीं बल्कि उसमें मतदान के लिए भी रूचि जाग्रत किया जाना चाहिए आरम्भ में इस प्रक्रिया को जटिल कह कर रद्द किया जा सकता है लेकिन इसको सहज भी बनाया जा सकता है अपनी राय देने के साथ राय देने वाले का नाम और मतदाता संख्या का उल्लेख भी हो तो उसकी उपयोगिता और उसकी सत्यता को आँका जा सकता है नहीं तो ये टी वी सीरियल की तरह फर्जी या फिर कई कई बार वोटिंग करके जनमत का मखौल उठाया जा सकता है अगर इस प्रक्रिया को अपना लिया जाय तो फिर किसी अन्ना हजारे या रामदेव को अनशन या प्रदर्शन करने की जरूरत नहीं पड़ेगी किसी विधेयक को न्यायालय में चुनौती देकर न्यायिक सक्रियता के दायरे में नहीं लाया जाएगा सदन के बहुमत पर ये मतदान भरी पड़ेगा विधेयक की सार्थकता को समझाने वाला बुद्धिजीवी वर्ग ही अगर इसमें शामिल हो जाता है तो फिर इसके सार्थक होने में संदेह नहीं किया जा सकता है विधेयक राजनेताओं के स्वार्थ पूर्ति के लिए नहीं बल्कि प्रजा के कल्याण के लिए बनाये जाते हैं यहाँ संसद में सत्तारूढ़ दल अपनी मनमानी और अपनी स्वार्थपूर्ति के लिए अपने अधिकारों का दुरूपयोग नहीं कर पायेंगे सार्वजनिक तौर पर रखे गए विधेयक में सुधार भी प्रस्तावित किये जा सकते हैं इस प्रक्रिया से गुजर कर जो विधेयक बनेगा वह लोकहित में होगा
यहाँ कुछ विषयों को तुरुप का पत्ता बना कर बाजी हमेशा अपने पक्ष में ही नहीं रखी जायेगी
सत्तारूढ़ दल के निरंकुश होते रवैये पर अंकुश लगाया जाना जरूरी है लोक विरोध करता हुआ छटपटाता रहता है और हासिल उसको कुछ भी नहीं होता है लोकपाल बिल, सांप्रदायिक हिंसा निषेध बिल के लिए किसी अन्ना हजारे या कालेधन के लिए किसी रामदेव बाबा को इस तरह से अनशन करने पड़ते और ही सरकार के कुकृत्यों के द्वारा लोक को लज्जित होना पड़ा
अब लोक को ही जागरूक होना पड़ेगा, तभी तो एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी को ये जागरूकता हस्तांतरित होगीऔर फिर आज नहीं तो कल आने वाली पीढ़ी को एक स्वस्थ समाज और सरकार मिल सकेगीएक काले कारनामों से रहित और लोकहित के लिए सोचने वाली सरकारक्या ऐसा संभव है? असंभव तो कुछ भी नहीं है और मुझे लगता है किआने वाली पीढ़ी पिछली पीढ़ी से अधिक विस्तृत सोच रखती हैफिर इसके लिए ये प्रस्ताव कैसा है?

9 टिप्‍पणियां:

  1. प्रस्ताव अच्छा है मगर माना नही जायेगा वरना सत्ता पर काबिज़ नही रह पायेंगे आज के कर्णधार्…………चाहत तो सभी की यही है कि लोकतंत्र मे सुधार हो और उसके लिये सही उपाय हों मगर हर चाहत को कुचलना ये सरकार अच्छे से जानती है ।

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  2. अब लोक को ही जागरूक होना पड़ेगा, तभी तो एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी को ये जागरूकता हस्तांतरित होगीऔर फिर आज नहीं तो कल आने वाली पीढ़ी को एक स्वस्थ समाज और सरकार मिल सकेगी ।

    आज यदि पचास प्रतिशत आरक्षण है तो शायद हमने उस समय इसका हल नहीं सोचा इसलिए है .

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  3. लोक को ही जागरूक होना पड़ेगा......

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  4. वर्तमान परिदृश्य में इस विचार मंथन के द्वारा किसी नई राह की तलाश है।

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  5. बिगाड़ और सुधार की प्रक्रिया एक साथ चल रही है। हर आदमी ज़्यादा से ज़्यादा लाभ अपने लिए समेट लेना चाहता है। वोटों का लेनदेन और अपने प्रतिनिधि का चुनाव जनता इसीलिए भावना से करती है। इसी भावना से चुनाव प्रत्याशी अपने चुनाव में जनता को शराब से लेकर नाच रंग तक हर चीज़ मुहैया कराता है। व्यापारी वर्ग ज़्यादा लाभ समेटने की आशा में ही सब दलों को मोटा चंदा देते हैं। इसी आशा में मज़ार के मुजाविरों से लेकर बाबा तक सभी अपना आशीर्वाद भी सप्लाई करते हैं। फिर चुनाव के नतीजे निकलते हैं और लाभ समेटने की जद्दोजहद शुरू हो जाती है।
    एक वर्ग जो सदा से ही जागरूक है वह दूसरों को दबाये रखने की चालें चलता रहता है और जो अब जागरूक हो रहे हैं वे लोग पहले से जागरूकों से मुक्ति पाने का प्रयास करता रहता है। इसी प्रयास में तब्दीलियां भी आ रही हैं और न जाने जाने जागरूकता का यही प्रयास कितनी ही बार संघर्ष में भी बदल चुका है। समय गुज़र रहा है लेकिन इंसान के अंदर ज़्यादा लाभ के लिए ज़ुल्म भी कर डालने की भावना क़ाबू में नहीं आ पा रही है। यही भावना इंसान की जागरूकता को मक्कारी में बदल कर रख देती है।
    व्यक्तिगत और सामूहिक रूप से इस भावना पर क़ाबू पाए बिना जागरूकता को रचनात्मकता में बदलना संभव नहीं है।

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  6. बहुत ही सार्थक आलेख है रेखा जी ! लोकतंत्र की रक्षा के लिये मतदाता का जागरूक होना बहुत ज़रूरी है ! जब तक जनता अपनी जिम्मेदारी और अधिकारों के प्रति सचेत नहीं होगी ये स्वार्थी और लालची नेता इसी तरह उसका दोहन करेंगे और उसकी कीमत पर खुद ऐश करेंगे ! जनता को सही दिशा निर्देश की ज़रूरत है और प्रबुद्ध लोगों को हर माध्यम का प्रयोग कर आम जनता का मार्गदर्शन करना चाहिये !

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  7. लोगों के जेहन में लगी आग निकालनी पड़ेगी तभी लोकतंत्र सुधर सकता है ।

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  8. जी हाँ, असंभव कुछ भी नहीं है.
    सच्चाई और ईमानदारी से कोशिश हो तो
    इस तरह से लोकतंत्र में जरूर सुधार आ सकता.
    जागरूक होना अति आवश्यक है.
    बहुत अच्छा विचारणीय लेख है आपका.

    सुन्दर प्रस्तुति के लिए आभार.

    मेरे ब्लॉग पर आईयेगा.

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