मंगलवार, 30 अक्तूबर 2012

अधूरे सपनों की कसक (22) !

                          हमारे सपनों के आकर और स्वरूप अलग अलग होता है , संगीता जी उन सब में सबसे अलग दिशा में जाकर अपने सपने देख रही हैं क्योंकि अब तक के सरे लोगों से अलग एक दिशा में उनके कदम बढ़ रहे हैं। उनके सपनों के साथ जुड़ कर हम सभी उनके इसा सपने को साकार होने की कामना करती हूँ  .
                            आज अपने सपने के साथ है -- संगीता पुरी जी।








भाग्यशाली   होते हैं वे लोग जिनके सपने पूरे हो जाते हैं , कुछ तो इतने भाग्‍यशाली होते हैं कि सपनों से अधिक मिल जाता है उन्‍हें। पर यथार्थ में देखा जाए तो 99 प्रतिशत लोगों के सपने लाख कोशिशों के बावजूद दम तोड लेते हैं। जीवन में समझौता करना उनकी मजबूरी होती है, एक रास्‍ते के बंद होते ही दूसरे रास्‍ते की तलाश में जुट जाते हैं। दुनिया की भीड में भले ही वो हंसते खिलखिलाते नजर आ जाएं पर अंदर एक कसक सी बनी रहती है , जीवन के किसी भी मोड पर किसी और के द्वारा भी वो सपनों को पूरा होते देखना चाहते हैं। मैने ब्‍लॉगर परिचय में लिखा है आसमान को छूने के सपने है मेरे , हो भी क्‍यों नहीं , मेरे पास एक ऐसा ज्ञान है जो दुनियाभर में किसी के पास नहीं, वो है किसी के जन्‍म समय के आधार पर उसके संपूर्ण जीवन में समय समय पर आने वाली परिस्थितयों को सटीक ढंग से जान पाना। इससे लाखों परेशान लोगों को उचित सलाह दी जा सकती है। पर अपने देश में प्रतिभा की इतनी कद्र भी नहीं कि बिना सपने देखे ही हमें सबकुछ मिल जाए, इसलिए सपने ही तो देखने होंगे।
होश संभालते ही मैने अपने पापाजी को ज्‍योतिष के ग्रंथों में डूबा पाया , बी एस सी के एस्‍ट्रोनोमी पेपर के ग्रह नक्षत्रों के बाद ज्‍योतिष जैसे विषय को विज्ञान से जोडते हुए , अपने लेखों से भारत भर के विद्वानों के मध्‍य अलग पहचान बनाने में दूसरों का सटीक भविष्‍य बतला देना हमें रोचक लगता। थोडी बडी होने पर ही ज्‍योतिष को सीखने की मेरी भी इच्‍छा हो गयी , पर चूंकि ज्‍योतिष को समाज मे मान्‍यता प्राप्‍त नहीं थी , पापाजी नहीं चाहते थे कि उनकी अगली पीढी भी ज्‍योतिष में आए। पर उनके नौकरी छोडकर गांव में वापस आ जाने के कारण हमें पढाई लिखाई के लिए उचित वातावरण नहीं मिल पा रहा था। गणित और विज्ञान मेरे लिए रोचक विषय थे , पर गांव में पढाई की सुविधा न होने से मजबूरी में अर्थशास्‍त्र की पढाई करनी पडी। मन में प्राध्‍यापिका बनने का सपना देखती रही , पर विवाह के बाद का वातावरण उसके अनुकूल भी नहीं था। मन मारकर घर गृहस्‍थी में ही रमना पडा।

पर तबतक पापाजी ज्‍योतिष के क्षेत्र में काफी आगे निकल चुके थे , उनका रिसर्च इस हद तक पूरा हो गया था कि किसी की जन्‍म तिथि और जन्‍म समय मात्र की जानकारी से उसके पूरे जीवन के उतार चढाव का ग्राफ खींच लेते थे , उसके विभिन्‍न संदर्भों का सुख दुख प्रतिशत में निकाल लेते थे और समय समय पर अन्‍य प्रकार की समययुक्‍त भविष्‍यवाणी भी सटीक तौर पर करने में समर्थ थे। उनके द्वारा अध्‍ययन मनन के साथ ही साथ लेखन का काम भी जारी था , जिससे समाज को एक दिशा दी जा सकती थी। ज्‍योतिष के नाम पर अंधविश्‍वास और भ्रांतियों का खात्‍मा कर इसके वैज्ञानिक स्वरूप को स्‍थापित किया जा सकता था पर न तो पत्र पत्रिकाएं , न प्रकाशक , न अखबार या चैनल उनके लेखों या पुस्‍तकों को छापने या उन्‍हें स्‍थापित करने के लिए तैयार थे। समाज में अंधविश्‍वास फैलाने पर उनको करोडों मिलते हैं , मेरे ज्ञान का प्रचार प्रसार करने पर उन्‍हें क्‍या मिलता ?
पर इस मजबूत आधार को लेकर ज्‍योतिष का पूर्ण विकास किया जा सकता था , इसलिए  मैने अपना जीवन भी इसी को समर्पित करने का निश्‍चय किया। इस तरह अपने जीवन का 25 वर्ष से अधिक मैं भी इसपर समर्पित कर चुकी , जिसके बाद महसूस हो रहा है कि ग्रहों का प्रभाव हमपर पडता है और इस ज्ञान के बिना समाज अंधेरे में ही जी रहा है। जिस तरह सूर्य की चाल के हिसाब से बने घडी और कैलेण्‍डर से हम अपने समय को व्‍यवस्थित कर पाते हैं , उसी प्रकार सभी ग्रहों की चाल को समझकर जीवनभर के समय को विभिन्‍न कार्यक्रमों के मध्‍य समायोजित किया जा सकता है। मेरा सपना एक एक व्‍यक्ति को इस रहस्‍य से परिचित कराने का है कि हमारे जीवन में समय समय पर आने वाले उतार चढाव का रहस्‍य आसमान में विचरण कर रहे ग्रह हैं और उनकी चाल हैं और उन्‍हें देखकर हम अपने भविष्‍य का पूर्वानुमान लगा सकते हैं। ‘गत्‍यात्‍मक ज्‍योतिष’ और पापाजी को विश्‍वभर में पहचान दिलाने और जनसामान्‍य में फैले ज्‍योतिषीय और धार्मिक भ्रांतियों को दूर करने के उद्देश्‍य से मैं पुस्‍तकों के लेखन और सॉफ्टवेयर निर्माण से संबंधित कार्यों में जुटी हुई हूं , कभी मंजिल बिल्‍कुल निकट दिखाई देती है तन मन में आशा का संचार होता है लेकिन कभी कई प्रकार की बाधाएं भी उपस्थित हो जाती है , मन भयभीत हो जाता है , सोंचकर कि ऐसा न हो कि मेरा सपना साकार न हो।

18 टिप्‍पणियां:

  1. संगीता जी को ब्लॉग के माध्यम से तो जानते थे ही आज आपने उनके जीवन की ये बाते यहाँ प्रस्तुत कर हमें उनके और भी निकट कर दिया.आभार रेखा जी

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  2. ज्योतिष का आधार भी विज्ञान ही है. अत: ज्योतिष पर विश्वास न करने के वावजूद भी इसे खारिज नहीं कर पाती मैं. आप अपने सपनो की तरफ अग्रसर हैं, लगी रहिये जरुर पूरे होंगे.

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  3. बाधाएँ ना हों तो सपनों को पुख्ता जमीन नहीं मिलती ....

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  4. जिनको ज्‍योतिष पर विश्‍वास न हो .. इसमें वैज्ञानिक आधार ढूंढ रहे हों .. ये कृपया अपना आधा घंटा इस वीडियो को देखने में दें .. सबकुछ स्‍पष्‍ट हो जाएगा .... http://www.youtube.com/watch?v=TDMiPBCko4w&feature=share

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  5. जिनमे कुछ कर दिखाने का जज़्बा होता है उनके सपने जरूर साकार होते हैं आपके भी होंगे :)

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  6. विदुषी ज्योतिष से जुड़ी, गत्यात्मक सन्दर्भ ।

    एक एक जोड़ें कड़ी, पढ़ें समय का गर्भ ।

    पढ़ें समय का गर्भ , समर्पित कर दी जीवन ।

    वैज्ञानिक सी दृष्टि, देखता श्रेष्ठ समर्पण ।

    पूज्य पिता का क्षेत्र, जोड़ संगीता हरषी ।

    शुभकामना अपार, जरा स्वीकारो विदुषी ।।

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  7. आपका आज का लेख पढ़ कर मन कर रहा है कि हम भी आप से अपने बारे में पूछ ही ले ...

    आज हम से हट कर कुछ लिखा है आपने ..पढ़ते हुए अच्छा लगा

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  8. aapse kayi baar is baare mein baat hui hai, aur aap is sapne ko poora karne mein lagi hui hain..
    ye avashy poora hoga, ise poora hone se koi nahi rok sakta..
    shubhkaamnaayein..

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  9. isa youtube ke dvara aapane bahut hi uchit kaam kiya hai. vaise main to isa vidha men bahut hi vishvas karti hoon aur isa ke parinamon ko bhi manati hoon lekin jo nahin karte hain unake liye ye ek adhar banega.
    aapne meri is shrinkhla ke liye sahyog diya usake liye abhar aur sath hi hamen labhanvit karne ke lie bahut bahut aabhar. !

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  10. संगीता जी, ज्योतिष विधा की सच्ची साधक हैं और पिता की योग्य पुत्री के रुप मे कर्तव्य का निर्वहन करते हुए साधिका की तरह उनकी विरासत को आगे बढ़ा रही हैं, हमेशा इनसे प्रेरणा मिलती रही है...... सादर

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  11. आपने जो सपना देखा है वो आपकी मेहनत और लगन से अवश्य पूरा होगा ... बहुत बहुत शुभकामनायें ...

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  12. आप जिस भावना और समर्पण से काम कर रही हैं -सपना पूरा होगा!

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  13. शुभकामनाओं के लिए आपका आभार ..
    परंपरागत ज्योमतिष में जो खूबिया या खामियां रही हो ..
    पर हमारे शोध के बाद ज्योषतिष शास्त्रम से विज्ञान बन गया है ..
    इस वीडियो से इसे साफ साफ समझा जा सकता है!!

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  14. आपने ज्योतिष विधा को वैज्ञानिक आधार दिया है ...आपके सारे सपने पूरे हों.. इसी शुभकामना के साथ आपका और रेखा जी दोनों का बहुत-बहुत आभार

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  15. आप अपने सद्प्रयासो मे सम्पूर्ण सफलता प्राप्त करें हम यही मंगलकामना करते हैं।

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  16. आपको अपने प्रयासों मे सफलता मिले बस यही हमारी कामना है।

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