आज 10 अगस्त को पापा को हमसे दूर गए हुए 22 साल हो गए . लेकिन क्या कभी वे हमारी यादों से दूर हुए शायद कभी नहीं क्योंकि जनक वो थे हमारे . अपने सारे संस्कार , विचार और जीवनचर्या को पूरी पूरी तरह से हमको दे कर गए हैं .
उन्होंने कभी अपने और अपनी जरूरतों को सामने प्राथमिकता नहीं दी थी . जबकि एक दुनियांदार इंसान के लिए ये बहुत जरूरी होता है . किसी भी जरूरतमंद को देखा तो वे कभी न नहीं कर पाते थे . कई बार हुआ कि पापा खेती जुता कर गाँव से पैसे लेकर आये और जोतने वाला रोने लगा तो पैसे छोड़ कर ही चले आये और घर में सब लोग उनको कहने लगते कि इतने दयालु बनने की क्या जरूरत है ? लेकिन नहीं जरूरतमंद अगर उनके पास पैसे हुए और अगर माँगने लगा तो बगैर कुछ सोचे अपनी जरूरत को न देखते हुए उसको दे देते . भले भी फिर वो कभी न मिला हो .
उनके उस गुण को हम भाई बहन ने भी ग्रहण किया , ग्रहण क्यों वह तो हमें विरासत में मिला और इस बात का आज के समय में लोग नाजायज फायदा भी उठा लेते हैं लेकिन कुछ गुण ऐसे होते हैं की धोखा खाकर भी इंसान बदल नहीं पाता है. शायद उनके रास्ते पर चलकर हम उनके प्रति अपने सच्चे मन से कृतज्ञता ज्ञापित कर पाते है . उन्हें मेरा शत शत नमन और श्रद्धांजलि .
उन्होंने कभी अपने और अपनी जरूरतों को सामने प्राथमिकता नहीं दी थी . जबकि एक दुनियांदार इंसान के लिए ये बहुत जरूरी होता है . किसी भी जरूरतमंद को देखा तो वे कभी न नहीं कर पाते थे . कई बार हुआ कि पापा खेती जुता कर गाँव से पैसे लेकर आये और जोतने वाला रोने लगा तो पैसे छोड़ कर ही चले आये और घर में सब लोग उनको कहने लगते कि इतने दयालु बनने की क्या जरूरत है ? लेकिन नहीं जरूरतमंद अगर उनके पास पैसे हुए और अगर माँगने लगा तो बगैर कुछ सोचे अपनी जरूरत को न देखते हुए उसको दे देते . भले भी फिर वो कभी न मिला हो .
उनके उस गुण को हम भाई बहन ने भी ग्रहण किया , ग्रहण क्यों वह तो हमें विरासत में मिला और इस बात का आज के समय में लोग नाजायज फायदा भी उठा लेते हैं लेकिन कुछ गुण ऐसे होते हैं की धोखा खाकर भी इंसान बदल नहीं पाता है. शायद उनके रास्ते पर चलकर हम उनके प्रति अपने सच्चे मन से कृतज्ञता ज्ञापित कर पाते है . उन्हें मेरा शत शत नमन और श्रद्धांजलि .
3 टिप्पणियां:
आपका यह कथन कि 'धोखा'खा कर भी उन गुणों को बदल नहीं पाते हैं-मुझे सही लगता है क्योंकि मुझ पर भी लागू होता है। मैं भी अपने पिताजी के सिखाये ईमानदारी के मार्ग को छोड़ नहीं पाता हूँ।
अपने पिताजी के प्रति आपकी कृतज्ञता अनुकरणीय है सभी को आपसे प्रेरणा लेनी चाहिए। उनको श्रद्धा-सुमन।
पापा को श्रद्धांजलि
और शत-शत नमन
विनम्र श्रद्धान्जलि..
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