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सोमवार, 1 दिसंबर 2008

कहाँ गई नैतिकता!

देश अभी उबर नहीं है उन ६० घंटों के भयावह धमाकों और बरबादियों से और हमारे जन प्रतिनिधि कहे जाने वाले सांसद और विधायक बड़ी बड़ी फूल मालाएं पहने कहीं स्टेशन का उद्घाटन कर रहे हैं। वह भी उस स्थिति में जब की राज्य में पूर्व मुख्यमंत्री और पूर्व प्रधानमंत्री वि पि सिंह जी के निधन पर हम राष्ट्रीय शोक मना रहे हैं।
अरे नैतिकता तो एक बिना पढ़े लिखे लोगों में भी होती है फिर देश जिस विपदा से अभी गुजरा है लोगों ने तो शादी जैसे कार्यक्रम टाल दिए है या फिर बिना दिखावे के सम्पन्न किए हैं फिर यह जन प्रतिनिधि क्या अपनी सत्ता के डंका पीट रहे हैं।
धिक्कार रहा है वही जन तुमको जिसने तुमको चुना था लेकिन वह भी विवश है और अफसोस कर रहा है अपने चुनाव पर। पति-पत्नी सांसद और विधायक हैं फिर किसी और की जरूरत क्या है? दोनों में से शायद किसी को भी यह शर्म नहीं आई की हम क्या कराने जा रहे और किस माहौल में।
हाय रे! हमारे नेता और राजनीति के चतुर चितेरे - अरे कुछ पैसा उनलोगों में भी बाँट देते जो अपने लोगों से वंचित हो गए हैं, वे तुम्हारे अपने हैं जी हाँ उन्होंने ने ही आपको चुनकर सांसद और विधायक बनाया है। पर आपको तो अपने पद का रुतबा और शान दिखाने से फुरसत कब है। कभी झाँका है उन गलियों में दुबारा जहाँ आप पैदल चल कर वोट माँगने गए थे। उन्हें सरोकार नहीं है देश और राज्य की घटनाओं से , वे तो यह सोचते है की कैसे अखबार में सुर्खियों में नजर आ सकते हैं।
अरे एक शोक सभा ही कर डालते तब भी सुर्खियों में आ सकते थे और भविष्य के लिए एक अच्छे नेता भी बन सकते थे अरे अच्छे नेता नहीं बन सकते तो एक अच्छे इंसान ही बनकर मानवता और नैतिकता के मूल्यों का आदर करना सीखिए और सोचिये आप क्या है? आपको क्या और कैसा आचरण शोभा देता है? आपसे अच्छा एक आम आदमी है जो इस संकट के समय में राष्ट्र के साथ साथ ख़ुद को भी इस भयावह त्रासदी को सहने में सहयोग दे रहा है.

4 टिप्‍पणियां:

श्यामल सुमन ने कहा…

किया जाय नेता यहाँ अच्छा वही शुमार।
सच कहकर जो झूठ को देता गले उतार।।

सादर
श्यामल सुमन
09955373288
मुश्किलों से भागने की अपनी फितरत है नहीं।
कोशिशें गर दिल से हो तो जल उठेगी खुद शमां।।
www.manoramsuman.blogspot.com

Udan Tashtari ने कहा…

हिन्दी चिट्ठाजगत में आपका हार्दिक स्वागत है. नियमित लेखन के लिए शुभकामनाऐं.

एक निवेदन: कृप्या वर्ड वेरीफिकेशन हटा लें तो टिप्पणी देने में सहूलियत होगी.

Unknown ने कहा…

आपका चिठ्ठाजगत में हार्दिक स्वागत है, खूब लिखें, हमारी शुभकामनायें आपके साथ हैं… एक अर्ज है कि वर्ड वेरिफ़िकेशन हटा लीजिये, फ़िलहाल हिन्दी में इसकी आवश्यकता नहीं है… धन्यवाद…

प्रदीप मानोरिया ने कहा…

यथार्थ को कलम से उकेरता हुआ आलेख आपका स्वागत है समय निकाल कर मेरे ब्लॉग पर पधारे