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रविवार, 7 जुलाई 2013

पहली बार केक काटा !

                           कभी इस तरह से सोचा ही नहीं कि जन्मदिन कैसे मनाया जाय ? अपने से तो कोई प्रोग्राम बनाया नहीं जाता और मैं खुद अपनी एनिवर्सरी या बर्थडे मनाने  लिए पार्टी रखने में विश्वास भी नहीं करती हूँ . बचपन से चार बहनों और एक भाई के परिवार में उस समय लड़कियों के जन्मदिन मनाये नहीं जाते थे . सो जाना ही नहीं की कैसे मनाया जाता है ?
                          जब लेखन के क्षेत्र में आई तो सत्तर के दशक में पत्र मित्र बनीं ( बने नहीं क्योंकि उस समय ऐसी अनुमति नहीं थी ) . कुछ जागरूक किस्म की सहेलियों ने जन्मदिन पर कार्ड भेजे तो बड़ा अच्छा लगा लेकिन घर में तब भी कोई खास तवज्जों नहीं दी जाती थी . शादी के बाद भी घर में ये जागरूकता आई कि  दामाद जी का जन्म दिन याद रखा जाय और विश कैसे किया जाय क्योंकि तब फ़ोन तो इतने कॉमन थे नहीं . जन्मदिन के कार्ड  उरई जैसे जगह पर उपलब्ध न होते थे . हाँ पत्र से शुभकामनाएं मिलने लगी . ससुराल में भी मेरी बर्थडे को ओइ तवज्जो नहीं मिली हाँ पतिदेव जरूर उस दिन अपने हिसाब से कुछ न कुछ अलग कर लेते थे .
                           इस दिन को सबसे अधिक तवज्जो मिली 2000 के बाद - जब आई आई टी में हमारी टीम में युवाओं ने कदम रखा , उस टीम में हम सबसे पुराने लोग ४ लोग ऐसे थे जो शादीशुदा और बच्चों वाले थे . हम लोग उन सबसे बड़े थे और वे सब नयें नए बी  टेक और एम् सी ए करके आये हुए लोग थे . तब सब सुबह सुबह विश करने लगे थे और जिसका बर्थडे होता वह लैब के हाल में छोटी मोटी  पार्टी कर लेता  था। मैंने केक भी कभी नहीं काटा था . वह पहली बार था जब कि  मेरी बर्थडे पर लैब ने सबसे अलग तरीके से मनाने की पहल की . मुझे कुछ नहीं पता था हाँ ये पता था कि  मुझे पार्टी देनी है और मैं किसी भी बच्चे को रुपये देती और कहती कि  जो सब लोग कहें वो सब चीजें ले आना . उस बार बड़ी लैब में बच्चों ने अपने तरफ से केक लाये और पार्टी भी उन्होंने ने ही रखी थी . मैंने जीवन में पहली बार केक काटा  था और इतने सारे लोगों के बीच अपना जन्मदिन मनाया था . वो यादें आज भी संचित हैं कुछ साझा कर लेते हैं . 

हमारी मशीन ट्रांसलेशन प्रोजेक्ट की टीम
               केक जो पहली बार मेरी बर्थडे पर काटा गया था .


और अब थी पार्टी की बारी , उसके बाद बहुत सारे बच्चे नयी जॉब मिलते हैं अलग अलग और कुछ लड़कियाँ शादी के बाद हमारी लैब को छोड़ कर एक एक करके विदा हो गयी . नए लोग आते रहे और फिर काम उसी तरह से चलता रहा . ये टीम सबसे प्रिय टीम थी और साथ गुजारा  हुआ सबसे अच्छा समय .  ये जन्मदिन मुझे हमेशा याद रहेगा क्योंकि बच्चों ने लैब की रीति को तोड़ कर कुछ अलग किया था मेरे लिए .



ये पार्टी की मस्ती फिर अब कभी नहीं करने को मिलेगी . मैं ही नहीं सारे बच्चे आई आई टी की लैब को आज भी मिस करते हैं .

8 टिप्‍पणियां:

विभा रानी श्रीवास्तव ने कहा…

बहुत खूबसूरत अभिव्यक्ति

Guzarish ने कहा…

आपकी इस प्रस्तुति की चर्चा कल सोमवार [08.07.2013]
चर्चामंच 1300 पर
कृपया पधार कर अनुग्रहित करें
सादर
सरिता भाटिया

Shalini kaushik ने कहा…

chaliye hamari taraf se bhi happy birthday . .बहुत सुन्दर भावनात्मक अभिव्यक्ति आभार क्या ये जनता भोली कही जाएगी ? #
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ANULATA RAJ NAIR ने कहा…

यादों के दरीचे से झाँका जन्मदिन....
बार बार आये ये दिन..
एक बार फिर से शुभकामनाएं दी..

सादर
अनु

अज़ीज़ जौनपुरी ने कहा…

janam di ki badhayee

नीलिमा शर्मा Neelima Sharma ने कहा…

yaade jab yaad aati hain man pulkit ho uth'ta hain .... ishwar hamesha khoobsurat yaado ka sath banaye rakhe

Unknown ने कहा…

सुन्दर प्रस्तुति .बहुत बधाई आपको .

रचना दीक्षित ने कहा…

सुंदर संस्मरण. ऐसा जन्मदिन तो हमेशा याद रहेगा. अत्यंत भावनात्मक प्रस्तुति.