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रविवार, 3 अप्रैल 2011

या देवी सर्वभूतेषु ..............





कल से वासंतिक नवरात्रि का शुभारम्भ और साथ ही भारतीय नव संवत्सर का भी। वैसे तो नवरात्रिहमारे लिए बहुत ही पवित्र दिन होते हैं और मेरी समझ में सम्पूर्ण हिन्दू धर्म के अनुयायी इन दिनों में मन कर्म औरवचन से सात्विक रहने का प्रयास करते हैं।
सिर्फ ये नारियों के लिए ही नहीं बल्कि नर और नारी दोनों के लिए श्रद्धा और भक्ति का प्रतीक मानाजाती है। मंदिरों में लाखों लोगों की भीड़ प्रतिदिन दर्शन करने जाती है। कन्याओं का भोज उनका पूजन भी प्रतिदिनकिया जाता है। देवी स्वरूपा बालिकाएं खुद भी इन दिनों के इन्तजार में रहती हैं। बचपन में मैं भी रहा करती थी क्योंजो दक्षिणा मिलती थी न वह अपनी संपत्ति मनाते थे और बड़े गर्व के साथ उसको संचित करके कहते थे कि हमारेपास इतने रुपये हैं। हमारे समय में हर महीने जेब खर्च देने का चलन न था। जरूरतें सब माता पिता पूरी करते थेलेकिन जेब खर्च जैसा कुछ न मिलता था।
विषय से भटक गयी। हम कन्याओं को पूजते हैं इन नौ दिनों में। उनके इच्छा भोजन करने काप्रयास भी करते हैं। हर कन्या में देवी का रूप देखते हैं। लेकिन इसके साथ ही हम पूरे वर्ष कितनी ही कन्याओं यादेवियों को इस दुनियाँ में आने से पहले ही विदा भी कर देते हैं। अगर जन्म ले ही लिया तो फिर उसके बाद भी बहुतसे तरीके हैं। उनको कुकर्म और दुष्कर्म जैसे घृणित व्यवहार से कलंकित भी करते हैं। जिन्हें वर्ष में १८ दिन पूजते हैंउन्हें वर्ष भर किस तरह से लिया जाता है , ये किसी से छुपा नहीं हैं।
सब से आज इस महापर्व कर यही कहने के लिए लिखने का मन बनाया है कि उन्हें वर्ष भर पूजे नहींतो उन्हें मारें या फिर उनकी दुर्दशा भी न करें। वे मासूम हैं और देवी का स्वरूप तो हैं ही तभी तो अपने भोलेपन मेंकभी टाफी खिलाने के बहाने और कभी आइसक्रीम खिलाने के बहाने अपने चंगुल में फंसा कर दुष्कर्मी उनके देवीस्वरूप को भी कलंकित करने से बाज नहीं आते । अब तो रिश्तों की गरिमा भी कोई मायने नहीं रखती है। रिश्ते केभाई , उनके दोस्त , पड़ोसी और यहाँ तक कि खून के रिश्तेदार भी ऐसा करने में पीछे नहीं है।
बस इतनी ही गुजारिश है कि इन देवियों को देवियों सा भोलापन लिए जीने दो। जब वक्त आएगा तोवे सीता या सावित्री बनेंगी या फिर दुर्गा या काली खुद ही निश्चित कर लेंगी लेकिन उनको फूलन बनने कि दिशा मेंमत धकेलो। जब वह प्रतिशोध की आग में जलती है तो दुनियाँ में आग लगा देती है। फिर दोष न देना कि कोमलहृदय नारी क्या करने लगी है? उसकी कोमलता, मासूमियत और निश्छलता छीनने वाले हम लोग ही हैं तो फिरउनके कहर से बचने कि राह खोज लें।
या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरूपेण संस्थिता, नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ।

18 टिप्‍पणियां:

vandana gupta ने कहा…

आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
प्रस्तुति भी कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
कल (4-4-2011) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
अवगत कराइयेगा और हमारा हौसला बढाइयेगा।

http://charchamanch.blogspot.com/

वाणी गीत ने कहा…

सार्थक अपील ...
नवसंवत्सर की हार्दिक शुभकामनायें !

Sawai Singh Rajpurohit ने कहा…

दिन मैं सूरज गायब हो सकता है

रोशनी नही

दिल टू सटकता है

दोस्ती नही

आप टिप्पणी करना भूल सकते हो

हम नही

हम से टॉस कोई भी जीत सकता है

पर मैच नही

चक दे इंडिया हम ही जीत गए

भारत के विश्व चैम्पियन बनने पर आप सबको ढेरों बधाइयाँ और आपको एवं आपके परिवार को हिंदी नया साल(नवसंवत्सर२०६८ )की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएँ!

आपका स्वागत है
"गौ ह्त्या के चंद कारण और हमारे जीवन में भूमिका!"
और
121 करोड़ हिंदुस्तानियों का सपना पूरा हो गया

संदेश जरुर दे!

अरुण चन्द्र रॉय ने कहा…

बहुत गंभीर विषय को छुआ है आपने... जनगणना के आकडे भी इस बात की पुष्टि कर रहे हैं... काश हम समझ पाते... चैत्री नवरात्रे की हार्दिक शुभकामना...

ashish ने कहा…

ॐ ह्विं क्लीं चामुण्डाय विचैह नमः .नव संवतसर की शुभकामनाये .

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

नवरात्र की शुभकामनायें ...अच्छी पोस्ट

Unknown ने कहा…

sabse pahle aapko navvarsha ki badhai..........iss post ki sarthakta thabhi hai jab hum iss par vichar karen ..........

वन्दना अवस्थी दुबे ने कहा…

नवसंवत्सर की हार्दिक शुभकामनायें !

Kanpurpatrika ने कहा…

सिर्फ नव दिनों के नवरात्र में सरे अच्छे कर्म करने से लोग अपने आप को धन्य मानते है लेकिन अगर एक लड़की को सिर्फ जन्म दे कर उसका पालन पोषण करे तो उन नव दिनों से ज्यादा सार्थक होगा लेकिन समाज के पडे लिखे लोग भी आज उन देवियों को प्रथ्वी पर आने से पहले ही नष्ट कर देते है .. फिर सोचते है की उनके जीवन में खुसी रहे देवी माँ की कृपा हो कैसे जब अपने स्वयं ही देवी का अनादर कर दिया हो उस देवी को नए से पहले ही उसका अंत कर दिया हो ...
बदलो अपनी सोच और खुश रहो

Kailash Sharma ने कहा…

बहुत सार्थक रचना..नव संवत्सर की हार्दिक शुभकामनायें!

shikha varshney ने कहा…

नवरात्र की शुभकामनायें .सार्थक अपील.

रेखा श्रीवास्तव ने कहा…

शुभकामनाओं के साथ ये भी कामना है कि आप सभी इस अपील के लिए अपनी बुलंद आवाज के साथ हुंकार भरे कि आकाश हिल जाए. धरा से अगर देवी का अस्तित्व संकट में पड़ गया तो मानवजाति भी अपने अस्तित्व पर प्रश्नचिह्न निश्चित तौर पर लगा ले.

Dr. Yogendra Pal ने कहा…

आपको नवरात्री की शुभकामनायें

क्या आप एक से ज्यादा ब्लॉग पर एक ही लेख लिखते हैं ?
सामूहिक ब्लॉग संचालकों के लिए विशेष

veena ने कहा…

navratri ki sabko shubhkamnaayen.sabka dhyan is taraf le jaane ke liye bahut dhanyavaad.devi ki aradhna tabhi poori hogi jab hum apni betiyon ko utni hi shradhha se janam den aurunka paalan poshan sahi vatavaran main ho jisse woh bhi apni betiyon ko achha vatavaran de saken. jai...ambe...maa.....

अजित गुप्ता का कोना ने कहा…

वास्‍तव में आज त्‍योहार प्रेरणा के स्रोत नहीं रह गए हैं बस हम मान बैठे हैं कि य‍ह दिन विशेष है भगवान से कुछ मांगने का तो मन्दिरों में लाइन लगाए खड़े रहते हैं। यदि हमने नवरात्रि का महत्‍व समझा होता तो कन्‍याओं को आदरणीय माना होता। पूजा के नाम पर बस मांगना ही शेष रह गया है।

Dr. Zakir Ali Rajnish ने कहा…

हार्दिक शुभकामनाएं।

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भगवान के अवतारों से बचिए!
क्‍या सचिन को भारत रत्‍न मिलना चाहिए?

हरीश सिंह ने कहा…

बहुत अच्छी पोस्ट, शुभकामना, मैं सभी धर्मो को सम्मान देता हूँ, जिस तरह मुसलमान अपने धर्म के प्रति समर्पित है, उसी तरह हिन्दू भी समर्पित है. यदि समाज में प्रेम,आपसी सौहार्द और समरसता लानी है तो सभी के भावनाओ का सम्मान करना होगा.
यहाँ भी आये. और अपने विचार अवश्य व्यक्त करें ताकि धार्मिक विवादों पर अंकुश लगाया जा सके.,
मुस्लिम ब्लोगर यह बताएं क्या यह पोस्ट हिन्दुओ के भावनाओ पर कुठाराघात नहीं करती.

Rakesh Kumar ने कहा…

या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरूपेण संस्थिता, नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ।
प्रेरणापूर्ण शानदार अभिव्यक्ति के लिए आभार.
आपके ब्लॉग पर पहली बार आना हुआ,सुखद अनुभव हुआ पवित्र विचारों को जानकर.
मेरे ब्लॉग 'मनसा वाचा कर्मणा' पर आपका स्वागत है.रामजन्म का भी आपको बुलावा है.
कृपया आइयेगा जरूर.