rakshaa बंधन हम एक पर्व की तरह से मनाते हैं एक निश्चित दिन लेकिन ये एक अहसास भी है - बहन के द्वारा भाई की कलाई पर बंधा हुआ रेशमी धागा इस बात का प्रतीक है कि बहन ने भाई को अपने रक्षा दायित्व में बाँध लिया है लेकिन उस दायित्व को निभाना भी एक बहूत बड़ा काम होता है। कभी कोई अपना कुछ न होते हुए भी बहूत कुछ बन जाता है। ये एक अहसास है क्योंकि कभी कभी ऐसा भी देखने को मिल जाता है जो हम अपने खून के रिश्तों में नहीं देख पाते हैं। कभी जायदाद को लेकर , कभी माता - पिता की परवरिश को लेकर या फिर कभi छोटे या बड़े मनमुटाव को लेकर खून के रिश्तों में तो दरार आ जाती है लेकिन इन धागों के रिश्तों में शायद ये दरार कभी नहीं आती है। क्योंकि ये रिश्ते किसी स्वार्थ से नहीं जुड़े होते हैं।
मेरे अपने भाई हैं हर समय नहीं जा पाती हूँ , लेकिन मेरे पास में ही मेरा एक माना हुआ भाई रहता है। वह नहीं है लेकिन काफी समय मेरे घर आता रहा और फिर एक दिन बातों बातों में पता चला कि वह कहीं से मेरे रिश्ते में भाई होता है। उसने रक्षा बंधन के दिन खबर भिजवा दी कि आज दीदी मेरे घर आकर रखी बांधेंगी नहीं तो फिर मैं कभी नहीं आऊंगा। इत्तेफाक से उसके कोई बहन भी नहीं है। मुझे वर्ष तो नहीं याद है लेकिन इतना कि मैंने कभी ये महसूस नहीं किया कि ये मेरा खून के रिश्ते वाले भाई से कभी कम है। खून के रिश्ते तो सब निभाते हैं , अगर ये रिश्ते जीवन भर निभाए जाएँ तो प्यार को सन्देश मिलता है जिसकी कोई सीमा नहीं है।ये एक अहसास है जिसे हम प्यार से जी लें तो उससे अच्छा कुछ भी नहीं।
इस पावन पर्व पर मैं अपने सभी भाइयों को हार्दिक शुभकामनाएं भेज रही हूँ। सभी के जीवन में ख़ुशी और समृद्धि बनी रहे। ईश्वर एक स्वस्थ और सुखमय जीवन प्रदान करे ।