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गुरुवार, 18 अक्टूबर 2012

अधूरे सपनों की कसक (12) !

                     क्या आज से पहले छोटे शहरों की जमीन पर सारे भय लड़कियों के लिए पला करते थे, माता-पिता की आँखों में एक सपना होता था की वह जो करे अपनी ससुराल जाकर करे लेकिन   में वाही करे जो उनको सही लगा . तब अधिक् प्रतिरोध करने की हिम्मत भी लड़कियाँ नहीं जुटा पाती थी ,  तो कुछ न कुछ जाती ही थीं लेकिन वो सपना जो अपने मन में संजो कर रखती थी कितने बार पूरा हो पाया नहीं जानती . अभी तक की कड़ियों में अधूरे सपनों को सिर्फ नारी ने ही सहा है और बांटा है . अब आगे आगे देखते हैं की क्या पुरुष भी ऐसे हैं जहाँ उनके सपने अधूरे रह गए हों। 
                 आज अपने सपने को साझा कर रही है -- सोनल रस्तोगी।



जो अधूरे रह जाते है वह ही तो स्वप्न होते है पूरे होने के बाद तो सच्चाई बन के हमारे जीवन का हिस्सा बन जाते है। बचपन से सपनो की दुनिया में उडती फिरती थी घर में बड़ों का साथ और आशीर्वाद ..अपने मन से राह चुनने की आज़ादी और क्या चाहिए सब कुछ अपनी मर्ज़ी से एक पल को तो ऐसा लगता था जो चाहूंगी वो पा लूंगी ... सब प्राप्य था . एक रोज़ मेरी जन्मपत्री एक रिश्तेदार ने देखी ..बस उन्होंने जो कहाँ वो सपना बनकर मेरी आँखों में पलने लगा ... "बिटिया का सूर्य बहुत प्रबल है सत्ता में या प्रशासनिक सेवा में जाने का योग है " 
इसी को आधार बनाकर पढ़ाई की  मोड़ दी प्रतियोगिता दर्पण और ऐसी ही कितनी किताबों के साथ तैयारी में जुट गई शहर छोटा था ज्यादा  सुविधायें नहीं  थी तो 12  के बाद इलाहबाद में कोचिंग लेने का तय किया ...अब ये सपना नहीं ध्येय सा बन गया था।  समाचार को गहराई से पढ़ना सूचनाये एकत्र करना ,समाचारों को बड़ो के साथ बाटना उनके विचार जानना ..इन सब में पढ़ाई को भी बहुत अहमियत देने लगी जिसका प्रभाव अंको पर दिखाई दे रहा था। कई बार अपने आप को प्रशासक के रूप में देखती और सोचती कहाँ कहाँ क्या सुधार सकती हूँ ... सुश्री किरण बेदी   कब मेरी मॉडल बन गई मैं जान नहीं पाई ...पढ़ाई के साथ स्काउट गाइड में काफी सक्रिय रूप से भाग लेने लगी ... मेरे भविष्य की तैयारी वर्तमान की ज़मीन पर चल रही थी 12वीं  की परीक्षा के साथ इलाहाबाद विश्वविद्यालय की प्रवेश परीक्षा दी ...सब कुछ उसी पर निर्भर था ..दिन रात एक कर दिए थे ... परिणाम आया ..सफल हुई थी मै ...सब कितना सहज था ..पर 

पता नहीं हमेशा मेरा साथ देने वाले पापा उस दिन कुछ अलग सी बात कह रहे थे ..जब बी ए  ही करना है तो यहीं से करो .. मैंने बहुत समझाया ...मुझे बी ए नहीं करना है वो तो एक रास्ता है मेरी मंजिल तक जाने का पर उस दिन एक बेटी के पिता के मन में असुरक्षा घर कर गई ..घर की सबसे बड़ी बेटी को बाहर  भेजने की हिम्मत नहीं कर पाए ...और मैं उनकी आँखे देखकर बहस ... 

पता नहीं किस जिद में बी।कॉम  में एडमिशन ले लिया 12थ तक आर्ट्स  के बाद कामर्स ...खुद को ऐसे झोंका पढ़ाई में के वो सपना फिर सर ना उठा सके ...बहुत पीछे छुटा सपना आज आपके याद दिलाने पर सामने आकर खड़ा हो गया ... 
पर वो पहली और आखिरी बार था जब पापा ने मुझे रोका था ...उसके बाद मेरे हर फैसले में मेरा साथ दिया ..पर आज भी कहीं ना कहीं कलफ लगी साड़ी पहने सोनल सामने खड़ी हो जाती है। आज जहाँ हूँ सफल हूँ करियर भी अच्छा है पर ये वो मंजिल नहीं थी .......


कई राहे मुड़ा  करती है मंजिलो से पहले 
यूँ हर मोड़ को मंजिल नहीं समझा करते 
भाप बन आँखों से उड़ते है ख्वाब अक्सर 
हर अश्क पर अपनों से नहीं उलझा करते

17 टिप्‍पणियां:

देवांशु निगम ने कहा…

खाब तो अक्सर हम देखते हैं ,कुछ पूरे होते हैं, कुछ नहीं भी होते हैं | पर कोई-कोई खाब वाकई इतना बड़ा हो जाता है कि ज़िंदगी बेमानी लगती है उनके बिना....पर हार ना मानना शायद सबसे बड़ी बात है...

"यूँ हर मोड़ को मंजिल नहीं समझा करते"

बाकी सारे खाब पूरे हों आपके सोनल जी ..आमीन !!!! :) :) :)

ashish ने कहा…

sapne kabhi tootte hai kabhi sakar hote hai . ishwar bas sapne dekhne ki shakti deta rahe, manjil bhi milegi. aameen.

रश्मि प्रभा... ने कहा…


जो अधूरे रह जाते है वह ही तो स्वप्न होते है पूरे होने के बाद तो सच्चाई बन के हमारे जीवन का हिस्सा बन जाते है।.... सही है,पर सपने न हों तो हकीकत कहाँ !
कहीं ना कहीं कलफ लगी साड़ी पहने सोनल सामने खड़ी हो जाती है ... जो मुझे दिख गई

shikha varshney ने कहा…

होता है कभी कभी...कोई बात नहीं सपनो ने अभि तो अंगडाई ली है एक रह गया तो क्या हुआ.बाकी सब पूरे होंगे.
और कलफ लगी साड़ी में तो हमारी सोनल हम अभी ही देख रहे हैं बहुत प्यारी लग रही है :)

मुकेश कुमार सिन्हा ने कहा…

कलफ लगी साड़ी पहने सोनल, Commerce graduate ....:))

kisi ne kaha
jab baarish hoti hai to
saare pakshi dubak jate hain
sir baaj hi hote hain aise
jo badalon ke upar se udan bharte hain....:))

shubhkmanyen..:)





मुकेश कुमार सिन्हा ने कहा…

कलफ लगी साड़ी पहने सोनल, Commerce graduate ....:))

kisi ne kaha
jab baarish hoti hai to
saare pakshi dubak jate hain
sirf Baaj hi hote hain aise
jo badalon ke upar se udan bharte hain....:))

shubhkmanyen..:)

रंजू भाटिया ने कहा…

:) सपनो के रंग यूँ ही बदल जाते हैं ..पर कुछ न कुछ मिलता जरुर है ...

sonal ने कहा…
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
sonal ने कहा…

aap sabhi kaa abhar

वाणी गीत ने कहा…

कलफ लगी साडी अब नहीं पहन सकती क्या ??:):)

Saras ने कहा…

वाह सोनलजी ...उस कसक को भीतर तक महसूस किया .....खैर जब अपने मन की नहीं होती तो लगता है ...सब कुछ ख़त्म हो गया ...एक डेड एंड आ गया ...लेकिन उस वक़्त 'उसके' मनकी होती है ...जो की हमारे लिए ज्यादा श्रेष्ठ है ...यह जब हम पीछे मुड़कर देखते हैं तो समझ में आता है ...

महेन्द्र श्रीवास्तव ने कहा…

सार्थक पोस्ट
बढिया

प्रतिभा सक्सेना ने कहा…

रास्ते बंद नहीं होते ,एक के बाद दूसरा निकल आता है !

vandana gupta ने कहा…

यही हकीकत है सपनों के रंग कब बदल दे पता नही चलता

विकास गुप्ता ने कहा…

सहीं कहा आपने जब सपने सच बन जाते हैं तो वो सपने कहाँ रह जाते है ।

Anju (Anu) Chaudhary ने कहा…

टूटे सपने ..जो जिंदगी की कसक बन गए ...
यादों में समां ...जिंदगी में अधूरे से रंग भर गए

नीलिमा शर्मा Neelima Sharma ने कहा…

कई राहे मुड़ा करती है मंजिलो से पहले
यूँ हर मोड़ को मंजिल नहीं समझा करते
भाप बन आँखों से उड़ते है ख्वाब अक्सर
हर अश्क पर अपनों से नहीं उलझा करते
.
.क्षमा चाहूंगी के देर से यहाँ आई ....... सच मैं आप का सपना भी वैसे ही टूटा जैसे मेरा ........ आज सब कुछ हैं पर बस वही खुली आँखों से देखा सपना नही हैं ............ कोई बात नही सपने देखना छोड़ा थोड़े ही हैं हमने :)) अब अपनों के लिए सपने देखते हैं हम ......उनको हौसला देते हैं के तुम करो अपने सपने पूरे ..हम नही रहने देंगे उनको अधूरे ......शुभकामनाये