सबके अपने अपने होते हैं वे बड़े हों या फिर छोटे उन तक न पहुँच पाने का दर्द सभी को होता है . उसकी कसक सपने जिसके होते हैं उसको ही महसूस होती है। इस कड़ी में आज मुकेश कुमार सिन्हा अपने संस्मरण प्रस्तुत कर रहे हैं।
बदलते दौड़ के कई मंजर देखे
मेरे आँखों ने कई समंदर देखे
सैलाब न रोके रुका है कभी
मैंने किनारों पर ढहते रेत के महल देखे
वक्त दौड़ रहा है, साथ दौड़ रहे हैं
हसरत और ख्वाइश की इस दौड़ में
मैंने झीलों में डूबते कमल देखे .............
.
उपरोक्त पंक्ति मेरी नहीं है, पर मुझे अच्छी लगी....!
सच
कहूँ तो मैं कल्पना में जीने वाला व्यक्ति हूँ, यानि वही कल्पनाएँ मेरे
सपने का आधार बन जाती है . पर जब मैं सोचता हूँ की क्या उन सपनो को पूरा
करने के लिए मैंने सच्ची कोशिश की? तो पता हूँ बेशक अभाव व परेशानियों की
जिंदगी से रु-ब-रु रहा, बेशक मैं अपने भाई-बहनों में सबसे बड़ा था, बेशक
मेरे पास जिम्मेवारियां रही है . पर ये भी इतना ही सच है मेरी कोशिश
जो कुछ पाने की जिजीविषा के लिए होनी चाहिए थी, वो नहीं थी, या नहीं कहेँ,
पर कम जरुर थी . आज जब मैं खुद से जो पा हूँ, उस पर गौर करता हूँ
तो लगता है
"थोड़ा है, थोड़े और की जरुरत थी "
बिहार के
एक बहुत ही साधारण से परिवार में मेरा जन्म हुआ, यानि पैसे की जरुरत, जब
से समझ में आया कि ये सिक्का है, तब से रही. तो सपने बेशक बड़े-बड़े देखे,
लेकिन जो सच्चा सपना था, जो पूरा करने की आकांक्षा थी वो ये था की मैं कोई
सरकारी नौकरी पाऊं (क्योंकि उस समय बस इतनी ही समझ थी, एक छोटे से गाँव में
पाले बढे बच्चे ने यही सुना था की सरकारी नौकरी पाना ही सबसे बड़ा सुख है)
जिंदगी धीरे धीरे आगे बढ़ रही थी. पढाई में, क्लास में हर जगह सबसे आगे तो
नहीं पर ठीक ठाक ही था . हाँ मैट्रिक पास करते ही मेरी नौकरी की कोशिश शुरू
हो गयी, और मुझे याद है मैंने अपने I .Sc . फ़ाइनल के साथ Airforce
Technical grade(airman) के परीक्षा में सफल भी रहा, पर medically unfit
हो गया. S.Sc., Banking, TTE, , UPPCS, BPSC, UPSC जैसी पता नहीं, कितने
एक्साम्स की तैयारियां चलती रही, विश्वास नहीं होगा, पर ये सच्चाई है की
मैं १३ परीक्षाओं में सफल भी रहा, पर अडंगा लगता रहा, कहीं न कहीं, मैं वो
नहीं कर पता था, जो चाहिए था, जब स्नातक(विज्ञान, गणित) के अंतिम वर्ष में
था, साथ साथ मैंने अपने आय के साधन ढूँढने के साथ परीक्षा के लिए तैयारी
कर रहा था क्योंकि सपना था एक अदद बेहतरीन सरकारी नौकरी का .. पर फिर एक
बड़ा सा अवरोध आ गया, भागलपुर दंगा के कारण मेरा विश्वविद्यालय ४-५ साल तक
बंद हो गया उन्ही दिनों मैं All Bihar Quiz Championship में Runners up
रहा, साथ है ढ़ेरों अवार्ड जीते इस क्षेत्र में .. पर भगवान ने मुझे स्नातक
स्तर के परीक्षा के लिए और इंतज़ार करने कह दिया, साथ ही मेरे पास समय भी कम
रह गए . तो कभी कभी मुझे लगता है क्या विश्वविद्यालय नहीं बंद हुआ होता तो
कोई और बेहतरीन नौकरी पाता जो मैं चाहता था . पर....? अगर....?
यही......? से कहाँ कुछ संभव है . और अंततः मैं अपनी छोटी से पाई हुई नौकरी
और परिवार से खुश हूँ !
27 टिप्पणियां:
बदलते दौड़ के कई मंजर देखे
मेरे आँखों ने कई समंदर देखे
सैलाब न रोके रुका है कभी
मैंने किनारों पर ढहते रेत के महल देखे
वक्त दौड़ रहा है, साथ दौड़ रहे हैं
हसरत और ख्वाइश की इस दौड़ में
मैंने झीलों में डूबते कमल देखे ...
निःसंदेह यह पंक्तियाँ तुम्हारी नहीं, पर सत्य जीवन का इन पंक्तियों से जोड़ता है। ऐसे सत्य से ही असली जीवन का जन्म होता है,विचरता है वह सपनों में - हकीकत के रास्ते आंतरिक फावड़े से बनाता है . छोटी छोटी खुशियों में ही जी पाता है आदमी . बड़ा आदमी क्या होता है और कौन ? - जो कमल की उपस्थिति की कल्पना से दलदल पार कर जाये
जीवन में वह नहीं मिला जो चाहा था लेकिन जो मिला वह उससे कहीं ज्यादा है। मेरी तो अवधारण है कि संतोषम परम सुखं। जो मिला उससे संतुष्ट रहें तो फिर आगे बहुत कुछ सोचने के लिए शेष है।
संघर्षों का नाम ही जीवन है,और जो इन संघर्षों का सामना करते हुए अपने लिए सफलता की राह खोज ले वही विजेता कहलाता है.....
इस बात को सार्थक करता हुआ ये आपबीता सच है आपके जीवन का.... पर यही आपको और दृढ़ बनाएगा....
भविष्य के लिए शुभकामनाएं
जो मिला वही सबसे अच्छा है क्यों की वह ईश्वर का चुना हुआ है ....और संघर्ष है तो ज़िन्दगी जीने का मजा है ..:) मेरा तो यही ख्याल है ...सब शुभ हो आगे जीवन के लिए ढेर सारी शुभकामनाएं :)
बदलते दौड़ के कई मंजर देखे
मेरे आँखों ने कई समंदर देखे
सैलाब न रोके रुका है कभी
मैंने किनारों पर ढहते रेत के महल देखे
वक्त दौड़ रहा है, साथ दौड़ रहे हैं
हसरत और ख्वाइश की इस दौड़ में
मैंने झीलों में डूबते कमल देखे ......... sona tabhi khara hota hain jab usko kasoti par ghisa jata hain ............ jisne bina mehnat ke sab kuch pa liya use uski kadar bhi nhi hoti ......... vaise bhi isshwer hame jo bhi deta hain kuch na kuch sochkar hi deta hain ..........bahut achcha laga aapke baare main jankar .ishwer aapko uttrotar unnati ki taraf agarsar rakhe .........aise shubhkamna hain ...
कहीं नदी, कहीं झील, कहीं समंदर है,
जिसको जो मिल जाये वही मुकद्दर है,
हक़ीक़त में तो सभी जीते हैं मेरे दोस्त-
सपनों मे जीने का अपना अलग मंजर है ।
पर यह भी सच है कि संघर्ष नहीं तो सपना कैसा ?
इतनी सादगी बहरी स्वीकारोक्ति .....करने वाला इंसान स्वयं में कितना असाधारण होगा..इसका अनुमान लगाना...जो भी तुम से जुड़ा है उसके लिए कठिन नहीं होगा....आँखों के सपने..बरक़रार रहे..सपने पूर्ण होंगे..आज नहीं तो कल....खुशियाँ नित नए लिबास में ...आती रहेंगी...अन्त्ततः...तुम अपने को संपूर्ण ही पाओगे...ढेर सारी शुभकामना ..असीम स्नेह.......
हर परीक्षा में सफ़लता ही लिखी है...अब तक हुए हो आगे भी होते रहोगे...स्नेहाशीष
सफलता और असफलता मनुष्य जीवन यात्रा के सहयात्री है , सफलता के उन्माद से दूर रहना और असफलता से किंचित भी ना परेशान होना ही , मानव जीवन की सफलता का सूत्र है. भावनाओ को बहुत सुँदर ढंग से कलम बद्ध किया है . भविष्य के लिए अशेष शुभकामनायें .
और अच्छा पा जाते शायद .... पर सरकारी नौकरी तो है न ... कहीं कुछ सपने तो पूरे हुये .... शुभकामनायें
सिर्फ प्यार और आशीर्वाद कहूँगी आज .......... आज समझ में आया कि तुम मुझसे पहली बार बात करते समय * बड़े लोग * क्यूँ बोले थे ............... जब मिलोगे सबसे पहले कान खिचुंगी ................
सुन्दर संस्मरण.
हारिये न हिम्मत बिसारिये न हरि नाम.
चलना जीवन का नाम चलते रहो सुबह शाम.
एक न एक दिन मंजिल मिलकर रहेगी.
यदि अच्छा लगे और समय हो तो मेरे ब्लॉग पर
आईएगा.
वो न देखो कि क्या नहीं मिला ..देखो कि क्या मिला है. और आपने वही किया है.जो मिला उसे सहेज कर खुश हो लें वर्ना सपनो का क्या आँख मूंदी नहीं कि फिर से आ जायेंगे :).
विषम स्थितियों में संघर्ष करते हुये हार नहीं मानी - संतुलित व्यक्ति्व विकसित किया यह भी एक बड़ी उपलब्धि है .
यही है ज़िन्दगी जो चाहो मिलता नही और जो मिल जाये उसमे हम खुश नही होते जिस दिन हम ये समझ लेंगे कि जो मिला हम उसी के लिये बने थे उस दिन से हर कसक खत्म हो जायेगी मुकेश …………वक्त आने पर सब मिलता है बस थोडा सब्र रखना पडता है और उस मिलने के तरीके बदल जाते हैं यदि जो तुम चाहते वो मिल जाता तो क्या आज हमारे साथ होते :)))))
पता नहीं सफलता और असफलता के क्या अर्थ हैं ..... पर हाँ इतना जरूर कह सकतीं हूँ कि जिसको तुम छोटी सी नौकरी (यद्यपि मैं इससे सहमत नहीं हूँ) कह रहे हो वो भी बहुतों के लिए एक अप्राप्य स्वप्न ही रह जाता है ...... तुम्हारे संस्कारों में और पहली बार ही मिलने पर दिख गयी गरिमा से लगता है तुम्हारे लिए ,आज भी और कल भी सब कुछ प्राप्य होगा .... बस खुश रहो !!!
my wishes r always wid u Mukesh ji ....bt yaad rakhiyega ki jo mila usi mein santusht hona chahiye bt koshish karte rehna chahiye aur behtar banne ki ..jo aap karte hi han ...God Bless U always :))
जिन्दगी का नाम ही चलते जाना है, हम कुछ अच्छा पा लेते हैं तो किसी और ज्यादा अच्छे की तलाश शुरू कर देते हैं ... सबसे अहम् बात तो यह है कि आज आप अपने परिवार के साथ खुश हैं और जीवन में यही खुशी सबसे बड़ी और अच्छी बात कही जा सकती है ... जो भी अभिलाषाएं शेष रह गई हों वो पूरी हों इन्हीं शुभकामनाओं के साथ बधाई इस सफ़र तक पहुँचने के लिए
हम जीवन में में अक्सर जब कोई चीज़ बड़ी शिद्दत से चाहते हैं और वह हमें नहीं मिलती तो लगता है ...सब कुछ ख़त्म हो गया ...धराशायी हो गया ....हमारी मनकी नहीं हुई .... ..लेकिन हम यह भूल जाते हैं की की हमारी मनकी नहीं हुई क्योंकि यह "उसकी" मर्ज़ी नहीं थी ....और वह जो चाहता है वह हमारे लिए सर्वश्रेष्ठ होता ही ......इसलिए हताश नहीं होना चाहिए ...आप महसूस करेंगे की .. आप के लिए बेहतर विकल्प हैं जीवन में....और तब एहसास होगा की मैं तो व्यर्थ ही उस सपने के पीछे दौड़ रहा था ....
तुम्हारा सबसे बड़ा गुण तुम्हारी सादगी है...ये कैसे कह दिया कि कुछ नहीं पाया...प्यारा सा परिवार है, ब्लॉग पर बहनों का स्नेह है...जीवन में मनचाहा पाने का समय भी है,
सफलता तुम्हारे कदम चूमे, इसी आशीर्वाद और शुभकामना के साथ
दिदियाः)
छोटा बड़ा कुछ नहीं होता .....संतुष्टि ही सबसे बड़ी चीज़ है ...!!जो मिलता है वही बहुत है ...हाँ जीवन मे आगे बढ़ते रहना चाहिए ....शुभकामनायें ...!!
मुकेश जी जीवन के हर संघर्ष और तकलीफों का सार आपके लिखे अंतिम दो शब्दों में है.....
"खुश हूँ "
और क्या चाहिए....
:-)
अनंत शुभकामनाएं..
अनु
Da apne to itna bada Parivar bana liya itni sadgi aur saralta se. Asp best ho Da... Aane waali jindagi me apka koi bhi sapna adhoora na rage ye shubhkamnaye hain meri
Da apne to itna bada Parivar bana liya itni sadgi aur saralta se. Asp best ho Da... Aane waali jindagi me apka koi bhi sapna adhoora na rage ye shubhkamnaye hain meri
अपने संघर्ष के दम पर मुकाम पाने की ख़ुशी और आत्मसंतुष्टि की बात ही और होती है !
जो है अपना है , काफी है !
शुभकामनायें !
सपने...कुछ अधूरे से और कुछ कुछ पूरे से ...ये ही जीवन का आधार बने :))
aap sabko thanx.. mere adhure sapne ki kasak ko samajh pane ke liye :))
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