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शुक्रवार, 12 अप्रैल 2024

सावधान ! सोशल मीडिया और ए आई !

                           सावधान !  एआई बन रहा है अपराध की डोर!


                         हर क्षेत्र में एआई (कृत्रिम बुद्धिमत्ता) के द्वारा प्रगति कर रहे हमारे नए नए कदम - पीछे मुड़कर देखने को तैयार ही नहीं है। इसके जनक एक भारतीय अमेरिकी वैज्ञानिक थे।  क्या सोचा होगा उन्होंने ? कि हम इसको किस लिए विकसित कर रहे हैं? जो आज उसका उपयोग हो रहा है, वह बहुत ही उन्नत है और उसके रास्ते प्रगति की और जिस तेजी से बढ़ रहे है कि मानवीय मस्तिष्क भी इसके आगे नत है।  दिमाग को सोचने में कुछ समय तो लगता ही है लेकिन कृत्रिम बुद्धिमत्ता से हमें हल प्राप्त हो जाता है।  ऐसा नहीं है उसको ये बुद्धिमत्ता प्रदान मनुष्य ने ही की है लेकिन उसी इंसान ने इसको सार्थक उपयोग की जगह कुछ निरर्थक प्रयोग भी करने शुरू कर दिए है और इसके लिए हमें दूसरे पक्ष को अधिक सावधानी से देखने की जरूरत है। 

                            इससे पहले "हनीट्रैप" नाम के षड़यंत्र में लोगों को फंसाया जा रहा था और इसमें तो कितने लोगों ने घर बार बेच कर पैसे दिया और कुछ लोगों ने सब कुछ लुटाने के बाद पुलिस की शरण ली, लेकिन तब तक सब कुछ जा चुका होता है।  कितने लोगों ने तो इसके चलते आत्महत्या तक कर ली थी।     

                                     इधर कई दिनों से एक ही तरह का अपराध देखने को मिल रहा है , जिसे "डीपफेक" का नाम दिया गया है।  इसके पीछे जो दिमाग काम कर रहा है इसके लिए व्हाट्सएप को प्रयोग किया जा रहा है और इसके लिए ज्यादातर गृहिणी, व्यापारियों को शिकार बनाया जा रहा है क्योंकि इन लोगों को इसकी पेचीदगियों के विषय में अधिक जानकारी नहीं होती है। 

                                    कानपुर में ही पिछले दो दिनों में , एक सब्जी विक्रेता से एक लाख और एक आईआईटी छात्र की माँ से चालीस चार रुपये ठग लिए गए। 

                                       ये लोग अधिकतर जाल ऐसे फैलाते है कि पीड़ित को व्हाट्सएप कॉल करके कहेंगे कि  आपका बेटा  या कोई बहुत करीबी  दुष्कर्म या हत्या के मामले में पुलिस की हिरासत में है।  अगर उसको बचाना है तो इतना पैसा इस अकाउंट में ट्रांसफर कर दीजिये।  नहीं तो जिंदगी भर जेल में सड़ेगा और उसका जीवन बर्बाद हो जाएगा।  यहाँ तक कि वह एआई  का प्रयोग करके उसेी व्यक्ति की आवाज में आपसे व्हाट्सएप पर बात भी करवा देगें जिससे कि पैसे भेजने वाले को पूरा विश्वास हो जाए।  

                            इसके लिए साइबर क्राइम के तरफ से दिशा निर्देश है कि पैसा तुरंत ट्रांसफर न करें।  सम्बंधित व्यक्ति से बात करें और उनसे समय लेकर इसकी रिपोर्ट करें।  आईआईटी छात्र के बारे में यही हुआ।  मान ने बेटे की आवाज सुनकर विश्वास कर दिया और एक लाख की मांग पर चालीस हजार रुपये ट्रांसफर कर दिए और उइसके बाद भेटे को फ़ोन लगाया तो पता चला कि उसके साथ ऐसा कुछ भी नहीं हुआ।  

7 टिप्‍पणियां:

yashoda Agrawal ने कहा…

एआई का जादू, लेखक को कामचोर बना रहा है 
आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों के आनन्द में" रविवार 14 अप्रैल 2024 को लिंक की जाएगी ....  http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद! !

सुशील कुमार जोशी ने कहा…

सुन्दर जानकारी

Onkar ने कहा…

सुन्दर जानकारी

आलोक सिन्हा ने कहा…

बहुत सुन्दर

हरीश कुमार ने कहा…

महत्वपूर्ण जानकारी

विश्वमोहन ने कहा…

सही चिंता।

रेखा श्रीवास्तव ने कहा…

ब्लॉग पर डाले गए लेख पर आप लोगों की टिप्पणी देख कर बहुत अच्छा लगा। अब ब्लॉग को फिर से महत्व देने का अवसर आ रहा है। फेसबुक पर बने मंच पर आलेख डाल भले ही दिया जाय लेकिन उसको गंभीरता से पढ़ना और उसके उपयोगिता के विषय में एक ब्लॉग का पाठक ही अधिक समझ सकता है। आप लोगों का बहुत बहुत आभार !