वह कई महीने तक रहे और एक दिन उनकी बेटी ने कह दिया - मम्मी जब दादी यहाँ रहती थी और उनको खांसी आती थी तो आप कहती थीं कि इससे इन्फेक्शन लग सकता है और अब नाना जी के रहने से कोई इन्फेक्शन नहीं हो रहा है.
उन लोगों ने सोचा भी नहीं होगा कि उनकी अपनी बेटी जिसे वे संस्कार दे रहे हैं और अपनी बातों पर कभी ध्यान नहीं देते हैं कि हम क्या कर रहे हैं? उस बच्ची के कथन ने उन्हें आइना दिखा दिखा दिया. मेरे विचार से अगर हम अच्छे संस्कारित बच्चों की उम्मीद करते हैं तो हमें अपनी ओर भी ध्यान देना उतना ही जरूरी होता है.
ऐसी कहानी तो बहुत सुनी हैं और देखा भी है कि अगर घर में बच्चे अपने माता पिता को जैसा करते हुए देखते हैं वैसे ही करने कि उनकी सोच बनती है. नहीं मालूम ये कथा है लेकिन एक लघु कथा में पढ़ा था --
एक बच्चे के दादा जी का निधन हो गया तो उनके सारे समान को पिता ने घर से बाहर फ़ेंक दिया , बच्छा ये सब देखता रहा और बाहर जाकर उस कटोरे को उठा लाया जिसमें उसकी माँ दादा जी को खाना देती थी. जब उसके पिता ने देखा तो उससे पूछा - ये क्यों उठा कर लाये हो? इसको फ़ेंक दो न.'
'नहीं पापा जब आप बूढ़े हो जायेंगे न तब हम भी तो आपको इसी में खाना देंगे. इसी लिए उठा लाया.'
ये भी हमें कुछ सबक दे जाती है. देखने में बहुत छोटी सी बात है लेकिन कितनी गहराई से इसको सोचा जा सकता है और इसके परिणाम को सोच कर देंखें तो हमें यह बता जाता है कि हमारा व्यवहार ही बच्चों को कुछ सिखा जाता है.
मेरे एक मित्र बड़े परमार्थी हैं , उन्होंने कभी किसी भी जरूरतमंद को निराश नहीं किया. एक बार वे कुछ आर्थिक परेशानी में थे और उनकी बहन बीमार पड़ी , गंभीरता की स्थिति में बहन को उनके साथ की जरूरत महसूस हुई , उसने कहा कुछ भी नहीं लेकिन उन्हें महसूस हुआ कि उन्हें सहायता करनी चाहिए. उन्होंने अपने घर में बात की. उनकी बच्ची अपनी गोलक उठा कर लायी उसमें जामा किये हुए २००० रुपये पिता को दिए और कहा कि आप बुआ को ये दे दीजिये मेरे पास तो बेकार ही पड़े हैं न, उनके काम आ जायेंगे. '
9 टिप्पणियां:
बिल्कुल सहमत....बच्चे कहीं ज्यादा अपने आसपास हो रहे व्यवहार को देखकर सिखते हैं...अच्छा आलेख.
बिलकुल सही कहा है.सिखाने से कोई भी नहीं सीखता.अपने आस पास हो रहे व्यवहार को देखकर ही बच्चे सीखते हैं .
हम जैसा व्यवहार करेंगे वैसा ही हमारे बच्चे सिख्नेंगे . बोया पेड़ बबूल का तो आम कहा से खाय .
बिल्कुल सही कहा है ..बच्चे के द्वारा गहन अवलोकन किया जाता है ..और वो उससे ही बहुत कुछ सीखते हैं ... अच्छी पोस्ट
अथाह मानव मन और उसका व्यवहार.
आपकी पोस्ट से हर माता -पिता को प्रेरणा मिलेगी उद्देश्यपूर्ण और सार्थक आलेख
aapki baat se sehmat hu, or boht kuch seekha hai, kuch samay baad mai bhi is padaav mei kadam rakhne wali hu, aapke is lekh se boht kuch seekhne ko mila, dhanywaad
शत प्रतिशत सहमत हूँ।
एकदम सही बात है। लेकिन जहाँ दुर्व्यवहार चलता है वहाँ शायद बच्चों को अपने-पराये का भेद भी सिखाया जाता है और फिर जीवन भर वही दोहरा चरित्र।
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